मिलने आये फूलों से |
दामन उलझा शूलों से ||
बेबस लंगड़े लूलों से |
क्यूँ बैठे माज़ूलों से ?
अब तक क्या सीखा हमने ?
जीवन की इन भूलों से ||
मीठे नग़में ग़ायब हैं |
सावन के उन झूलों से ||
बेमौसिम बहलाओ अब |
दिल काग़ज़ के फूलों से ||
जीना उसको आता है |
जो वाक़िफ़ मअमूलों से ||
सब के सब ज़रदारों को |
ख़तरा है महसूलों से ||
बच्चे क्या टीचर भी गुम |
सरकारी स्कूलों से ||
झगड़ा तो माली से था |
हम लड़ आये फूलों से ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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