ज़ुर्म क्या है बता दीजिये |
फिर जो चाहे सज़ा दीजिये ||
हम तो हो जायेंगे मालामाल |
बस ज़रा मुस्कुरा दीजिये ||
क्या कहें आपकी शान में |
कुछ हमें भी सुझा दीजिये ||
बद्र देखेंगे नज़दीक से |
रुख़ से पर्दा हटा दीजिये ||
हमने शिकवे भुलाए सभी |
आप भी अब भुला दीजिये ||
आज तो जश्न की रात है |
आप भी गुनगुना दीजिये ||
ज़ख्म हो जायेंगे फिर हरे |
रोक बाद -ए -सबा दीजिये ||
इश्क़ है ग़र ग़ज़ल में रदीफ़ |
हुस्न को क़ाफ़िया दीजिये ||
चंद घड़ियाँ शब–ए-वस्ल की |
अब तो करने ख़ता दीजिये ||
शेर पर मुंह से ग़र दो न दाद |
तालियाँ ही बजा दीजिये ||
लोग डरते हैं सच से यहाँ |
आइना मत दिखा दीजिये ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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