Thursday, 12 January 2012

ज़ुर्म क्या है


ज़ुर्म  क्या  है  बता  दीजिये |
फिर जो चाहे सज़ा  दीजिये ||

हम तो हो जायेंगे मालामाल |
बस  ज़रा  मुस्कुरा  दीजिये  ||

क्या  कहें  आपकी  शान  में |
कुछ हमें भी  सुझा  दीजिये ||

बद्र    देखेंगे  नज़दीक    से |
रुख़  से  पर्दा  हटा  दीजिये ||

हमने  शिकवे  भुलाए सभी |
आप भी अब भुला  दीजिये ||

आज  तो  जश्न  की  रात  है |
आप  भी  गुनगुना  दीजिये ||

ज़ख्म  हो  जायेंगे  फिर  हरे |
रोक  बाद -ए -सबा  दीजिये ||

इश्क़ है ग़र ग़ज़ल में  रदीफ़ |
हुस्न  को  क़ाफ़िया  दीजिये ||

चंद घड़ियाँ शब–ए-वस्ल की |
अब तो करने ख़ता  दीजिये ||

शेर पर मुंह से ग़र दो न दाद |
तालियाँ  ही   बजा   दीजिये ||

लोग  डरते  हैं  सच  से  यहाँ |
आइना  मत  दिखा  दीजिये ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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